अगले दिन वह एक अलग तरह के बर्तन में किसान को खाना देने गयी और किसान को व्यस्त देख कर खाना वहीँ रख कर घर वापस आ गयी। कुछ देर बाद एक सियार वहां आया और खाने के बर्तन में मुँह डाल के खाना खाने की कोशिश करने लगा। पर इस बार वह सफल नहीं हुआ और उसका मुँह बर्तन में फंस गया। सियार हल्ला मचाने लगा। सियार को इस हालत में देख के किसान समझ गया की कल उसका खाना कहा गायब हुआ था। वह डंडा ले कर सियार के पास आया .
एक झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अंदर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों प्रेमचंद
मधुसूदन आनंद की 'करौंदे का पेड़', 'टिड्डा' और 'मिन्नी', संजय खाती की 'पिंटी का साबुन', पंकज बिष्ट की 'बच्चे गवाह नहीं हो सकते', भैरव प्रसाद गुप्त की 'मृत्यु' दैली अद्भुत कहानी.
असम विधानसभा में जुमे की नमाज़ का ब्रेक ख़त्म करने पर हंगामा, हिमंत बिस्वा सरमा पर जेडीयू हमलावर
यह कहानी पंचतंत्र या ईसप की सूत्र कथाओं की तरह है, लेकिन मौजूदा दौर में भोगवादी (हेडोनिस्ट या फिलिस्टिनिस्टिक कंज़्यूमरिज़्म) मानसिकता की वजह से अपनी स्वतंत्रता खोकर ग़ुलाम हो जाने की प्रवृत्ति पर यह एक स्मरणीय टिप्पणी है.
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तेजस्वी यादव के हिमंत बिस्वा सरमा पर दिए बयान से छिड़ा विवाद, मणिपुर सीएम भी बोले
आंचलिक भाषा के आधुनिक कथा-स्थापत्य में संयोजन और प्रयोग ने इस कहानी को विरल होने का दर्जा दिया है.
चिंटू का पैर फिसल जाता है, वह एक गड्ढे में गिर जाता है।
(एक) “बंदी!” “क्या है? सोने दो।” “मुक्त होना चाहते हो?” “अभी नहीं, निद्रा खुलने पर, चुप रहो।” “फिर अवसर न मिलेगा।” “बड़ा शीत है, कहीं से एक कंबल डालकर कोई शीत से मुक्त करता।” “आँधी की संभावना है। यही अवसर है। आज मेरे बंधन शिथिल जयशंकर प्रसाद
दोनों ने सावित्री की मदद करने की ठानी। सांप ने रस्सी से जुड़ कर रस्सी को लम्बा बना दिया और मेंढक घड़े में इस तरह बैठ गया की घड़े छेद बंद हो गया। सावित्री पानी निकाल कर ख़ुशी ख़ुशी घर चली गई।
सिंहराज को वहां आता देख, सियारों के प्राण सूख गए।
क्रोध और वेदना के कारण उसकी वाणी में गहरी तलख़ी आ गई थी और वह बात-बात में चिनचिना उठता था। यदि उस समय गोपी न आ जाता, तो संभव था कि वह किसी बच्चे को पीट कर अपने दिल का ग़ुबार निकालता। गोपी ने आ कर दूर से ही पुकारा—“साहब सलाम भाई रहमान। कहो क्या बना रहे विष्णु प्रभाकर
लेकिन उसे अपनी लंबी पूंछ पर बहुत गर्व था। अपनी लंबी लंबी पूंछ के कारण, वह कभी अपने पड़ोसियों के पास नहीं जा सका। वह केवल बड़े घरों और पैसे वाले लोगों से मिलने जाता था। उसके घमण्ड के कारण उसके पड़ोसी उसे नापसंद hindi story करने लगे। वे पीठ पीछे मोर का मजाक उड़ाते थे। एक दिन उन्होंने उस से मज़ाक करने का करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि एक बर्ड क्लब बनाया गया है और सभी पक्षियों ने मोर को अपना नेता